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Chakra

by Rudraksh ASV

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1.
2.
वक्त हमेशा सबका नहीं होता..... मुझे ना पता क्या ख्वाब ,मुझे ना पता क्या दर्द मुझे जो मिले ना तुम, मैंने जो सीखा वह सब्र रुठा मैं कभी नहीं, टूटा पर हटा नहीं बना मैं ऐसा जो ज़ख्म, दवा से भरता नहीं। बना मैं ऐसा हूं आदमी, बिना जो सादगी, करूं ना आशिकी करूं मैं ख्वाहिशें ताज की, कहूं ना राज़ की, बढ़ी जो त्रासदी लगा मैं पड़ा अंजान सा, कल जैसा आज भी, कोई ना पास भी मुझे ना करना फिक्र, मैं करता हूं नाज़ भी, थोड़ी नाराज़गी। कभी ना हटते है सदमे, खाई जो कसमें, करती है वश में करूं जो follow ना हक़ से, रहूं मैं शक में, अंतिम नरक में कोशिश भी छोटा है कद से, रहता ना हद में, तब ही तो खत्म है थोड़ा सा होता नीरस मैं, लिखूं मैं नज्में, खुद के ना बस में। आज मैं बना हूं ऐसा जो, मरता है, मरके भी, मरता नहीं आज मैं बना हूं ऐसा जो, करता है, करके भी, बढ़ता नहीं आज मैं बना हूं ऐसा जो, रूठा है टूटा है, लगता गरीब आज मैं बना हूं ऐसा जो, सोचे गलत है मेरा नसीब। आज में मुझे जो डर है, वह करें मुझको बड़ा भयभीत डरा हूं थोड़ा जमाने से, थोड़े अफसाने और थोड़े यह रीत लगता है यही सच्चाई, मुझे ना भाता हकीकत कभी करूं मैं याद मुझमें भी थी थोड़ी जिंदगी जब मैं जिंदा था सबकुछ सही था, जब मैं जिंदा था वह बंदा था , करता था बयां मैं बिन गाथा जब जिंदा था, उम्मीदें थी, मैं जीता था जब जिंदा था, खोजता था मैं, चाहे बिन पाकर मैं बढ़ता था, इस बात की मुझको थी खुशी कि उम्दा सा, चाहे मार हो मुझपे चिंता का पर मिलता था, सपने देखता था मैं हर पल में दिन गिनता था जब मैं जिंदा था। जब मैं ज़िंदा जब मैं जिंदा था। हाँ लगा था कोई ना पास में तब भी तो रहते थे आस में थोड़ा सा खुद से नाराज थे चलने को थे कई रास्ते। रखता था खुद पर भरोसा, मैं थोड़ा सा रोता, पर रुकता नहीं समय का खेल अलग सा, यह मुझको ना बख्शा, पर ठगता नहीं रूठे को दिल यह मनाता, यह मुझको दिखाता, हकीकत कई थोड़ा में उलझन में उलझा, मैं उलझा तो कभी भी सुलझा नहीं जो भी है आज में ही है, कोशिश भी साथ में ही है थोड़ा सा डर तो लगता है, बढ़ने का राज भी यही है नहीं है मुझे कोई दुख जो, कहता तू आज मैं नहीं है कोसा जो सारे ज़माने ने, ज़माना भी हमसे ही है। कभी तो मिलेगा मुझको सुकून यही सोच में चलता था बना मैं ऐसा हूं आदमी, अपने ही सपनों से मैं तो मचलता था सहमा सा थोड़ा मैं लगता, खुद से मैं भगता, वादों से डरता था कहने को कुछ भी ना कहता, सब कुछ मैं सहता, थोड़ा सा बहका सा आज मैं क्या हूं मुझे पता नहीं खत्म सा हो गया कोई खता नहीं क्या हूं क्या हूं आखिर मैं जब ज़िंदा था मुझको बताओ क्या हूं मैं...... मुझको बताओ पर जब जिंदा था सबकुछ सही था, जब मैं जिंदा था वह बंदा था , करता था बयां मैं बिन गाथा जब जिंदा था, उम्मीदें थी, मैं जीता था जब जिंदा था, खोजता था मैं, चाहे बिन पाकर मैं बढ़ता था, इस बात की मुझको थी खुशी कि उम्दा सा, चाहे मार हो मुझपे चिंता का पर मिलता था, सपने देखता था मैं हर पल में दिन गिनता था जब मैं जिंदा था। क्योंकि दिल में विश्वास था लगे थे आस के घेरे जब मैं जिंदा था था विश्वास जब मैं , जब मैं ...... मरना तो सबको है, तो क्यों ना जी कर मरें..... आज भी आज भी, लगा हुआ हूं मैं आज भी आज भी आज भी, लड़ने का हिम्मत है आज भी आज भी आज भी, कोशिश खत्म ना आज भी आज भी आज भी, अरमा के साथ में त्रासदी आज भी आज भी, मन में अगन है आज भी आज भी आज भी, सहते सितम हम आज भी आज भी आज भी, बढ़ते जख्म है आज भी आज भी आज भी, होड़ में बना मैं आकाशदीप।
3.
देखता रहूं मैं कल को कभी पूछा नहीं, क्या खोजूँ, असल जो मैंने बात मानी इतनी कि मुझे मिले चाहत पर राह की डगर में ना सब्र हो। मैंने दिल से है चाहा अपने कर्म को मैंने गले से लगाया, अपने भ्रम को मैंने सोचा नहीं, क्या होगा, क्यों कर रहा हूं ऐसा मैं सोचता, जो ठहरा होता पल को। अंजाने में बहाने किए खुद से हम रूठते हैं बस ऐसे खुद से जज़्बात का पता नहीं, जता रहे हैं सब लेते जिम्मेदारी कि होगा ना मुझसे....... तभी याद मेरे आया, बस एक नाम भोलेनाथ का मैं सोचूं , और करूं ध्यान सारे दर्द मिट गए, सारे कर्म समझ लिए ॐ नमः शिवाय, देता है अलग जान। कभी पूछा जो भोले से, मुझे मिले ज्ञान जब भी सुनो मैं गाथाएं, होता धन्यवान कभी कोसता था तुझे, वो गलती मेरी थी तेरे वजह से ही दुनिया और यह जीवनदान। कभी होता है जो दिक्कत, तो वह आप हटाए कभी मिलता है जो बरकत, तो वो आप दिलवाए मुझे तोड़ते भी आप, और जोड़ते भी हैं मेरे पास में जो आज, आपके ओर से ही हैं। कभी भूल जाता हूं, क्या हूं मैं आखिर क्या मैं गलत राह पर, या गलत राहगीर मुझे खुद पे ना विश्वास, ना होता है जो आस तेरे दर्शन से ही शांत होता जाके। मुझे ताकत देना इतनी कि कर्म पे मैं रहूं मुझे मिलते रहे आप, चाहे कोई भी स्वरूप हट के कर्मों से, धर्मो से, पथ पे व्याकुल ना रहूं देना शक्ति मेरे बाबा, मेरे शिव शंभू। रखना अपना आशीर्वाद, तेरे छाँव में रहूं तेरे याद में जीऊं, तेरे पाँव में रहूं कभी होना अहंकार, मुझसे होना कभी चूक देना शक्ति मेरे बाबा, मेरे शिव शंभू..... मेरे शिव शंभू शिव शंभू (तेरा है सहारा ) शिव शंभू (बस तेरा है सहारा ) मेरे शिव शंभू शिव शंभू शिव शंभू (मेरे बाबा , मेरे बाबा ) भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ भोलेनाथ, शंभूनाथ भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ भोलेनाथ, शंभूनाथ भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ भोलेनाथ, शंभूनाथ भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ, तेरे वजह से मैं हूं भोलेनाथ, भोलेनाथ भोलेनाथ, शंभूनाथ ।
4.
थोड़ा ख़्वाब से, मैं आप से, और खुद से मैं लड़ा थोड़ा रात से, जज़्बात से, और दुख से मैं लड़ा थोड़ा मर्ज़ से, सफर से, और रुत से मैं लड़ा थोड़ा वक्त से, और हक से, और शक से मैं लड़ा थोड़ा जग से, और ठग से, और नुक्स से मैं लड़ा करते वो कर्ज़, हर रुख से मैं लड़ा जो भी चुप थे, वो रूप से, अपने सुध से मैं लड़ा जाने कबसे हो, कब तक, यह दिल नहीं भरा मैं रुकता नहीं, शायद गलती यही है इस वक्त पे, इंसान की कोई चलती नहीं है यह दर्द भी गुनाह है, यह फर्ज़ की जमीं है किस्मत का सारा खेल, बातें पल की नहीं है मुझे खलती, जो भी गलती कई है हम बढ़ने की सोचें, सोच असल की नहीं है मेरे फल की जो चाहत, उसका हल ही नहीं है सारी कीमत होती कम, जो अवल ही नहीं है। थोड़ा थक के मैं सबसे, असूल से मैं लड़ा थोड़ा जी के, जो सीखें, अपने से रूप से मैं लड़ा लब सूखे, दिल रुके, अटूट सा मैं खड़ा निकले दर्द आसूं से, मुश्किलों की ये धरा थोड़ा मन से, जतन से, अगन से मैं लड़ा चुभन से, कसम से, ज़ख्म से मैं लड़ा गबन से, पसंद से, जुनून से मैं लड़ा जाने कबसे हो कबतक , यह दिल नहीं भरा ।
5.
हां मेरे तो मन में है आज भी, ख्वाहिशों का घर, और बढ़ने की वजह है बीते जो यादें वो साथ में, सपनों को जीने का अलग ही मजा है रखता ना रिश्तों से फासले, दुख में मनाने को संग में हैं आवाजें बेहतर मैं करूंगा, इसी जज्बे से खुलते हैं किस्मत के दरवाजे। मिलते हैं मौके जो मुझको, उन मौकों ने ही तो काबिल बनाया है दिल में जो पाने की आग है, उसी ने मुझको साहिल तक पहुंचाया है मुझे बस देना तू हौसला, देवा से मेरी बस एक ही गुजारिश झुमूंगा खुशी के गीत से, मन्नत भी बरसेगा बनके यूं बारिश। मन्नत भी बरसेगा मन्नत भी बरसेगा ये मन्नत भी बरसेगा। हारूंगा तभी कोई गम नहीं, वापस उठने का हौसला चाहिए बस मुझे ना जीना वो जिंदगी, हार से टूटा मन, चारों ओर खाई हो बस मुझे ना चाहिए वो आरजू, जो मेरे ख्वाब को टूटा सा मान ले मुझे ना चाहिए वो प्यार जो समय बदलने पर बनते अंजान से। करते हैं हरदम ही कोशिश, इस जीवन निशाचर का कोई भरोसा ना लगता है डर भी अब वादों से, वादें बिखरने पर किसी को कोसा ना कहता हूं उस ऊपर वाले से, ज़ाया ना करना तू मेरी सिफारिश रहमत का होगा करिश्मा, तो मन्नत भी बरसेगा बनके यूं बारिश। मन्नत भी बरसेगा मन्नत भी बरसेगा ना कोई तब तरसेगा मन्नत भी बरसेगा। कोशिश से बनना है कोशिश से बनना है मन्नत भी बरसेगा ना कोई तब तरसेगा। कोशिश से बनना है कोशिश से बनना है मन्नत भी बरसेगा ना कोई तब तरसेगा।
6.
मेरे देश के वीर उम्र छोटी, दिल में गौरव, और करना था खोज लेके सपने, यादें अपने, ना करता संकोच पहुंचा युद्ध में, देखा सदमे, हर तरफ था रोष सांसें थमते, देखा उसने, हुआ सुन्न, खामोश देखा उसने मौत की चलती वो आपदा थोड़ा सहमा, दिल भी दहला, खुशी लापता हाथ लाल, कई मलाल, सोचा ख्वाब का रखता धीरज, देखा हकीकत, ना कोई रास्ता आगे बढ़ा वो, सबसे लड़ा वो, ज़ख्म से घायल था पर, फिर भी ना डरा वो रहता खड़ा वो, भारी पड़ा वो दुश्मन आते गए, पर निडरता में बड़ा वो उसने सोचा नहीं, अपने बारे ज़रा भी दुश्मन का नाश करके, इज़्जत रखली धरा की भारत माता के ऐसे बेटों से, ये आज़ादी उनके शहादत की, यह धरती देती गवाही वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे भारत माता के वो लाल, जरूर वापस आएंगे वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे लेके सपनों की सौगात, जरूर वापस आएंगे वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे मेरे देश के वो वीर, ज़रूर वापस आएंगे वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे लेके अरमां वो हजार, नए कल को लायेंगे। वो वापस आएंगे दुश्मन सामने आंखों में था, पाने का लोभ बंदूकें चल रही थी, हर तरफ पे बिखरा शोक घायल सा वो भी थोड़ा, तब भी हार ना मानी उसने वो लड़ता गया सबसे, दुश्मनों को देता सदमे हवा को चीरता, उसने दुश्मनों पे चढ़ाई कर दी रखता वो हौसला, जब लहूलुहान थी उसकी वर्दी अलग ही प्यार देश से, कर जाते यह अपने फौजी सोचा बस देश के हित का, रुकते ना चाहे हो जो भी वंदे मातरम्, वंदे मातरम् कहते कहते बढ़ गए वो वन्दे मातरम् वंदे मातरम्, वन्दे मातरम् खून के हर कतरे, बस निकले वंदे मातरम् जो भी था कर्म, वो अपना था धर्म अपने मेहनत के आगे, ना कोई था भ्रम रहे यह वतन, दिल में जान बन इसके खातिर हम सह लेंगे, कोई भी ज़ुल्म। इसके खातिर हम सह लेंगे, चाहे कोई भी ज़ुल्म इसके खातिर हम सह लेंगे, चाहे कोई भी ज़ुल्म वो वापस आएंगे वो वापस वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे भारत माता के वो लाल, जरूर वापस आएंगे वो वापस आएंगे, वो वापस आएंगे लेके अरमां वो हजार, नए कल को लायेंगे। मेरे देश के वीर।
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about

This album is about life and how to deal with problems and live your life to the fullest.

credits

released August 24, 2023

Credits
Artist/Lyrics- Rudraksh ASV
Prod. - Rudraksh ASV
Mix & Master - Rudraksh ASV
Art Work - Kavita Sahani

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